खबर लहरिया ताजा खबरें लगाओ पैरों पर पहिये: खबर लहरिया का यात्रा विशेषांक

लगाओ पैरों पर पहिये: खबर लहरिया का यात्रा विशेषांक

हम यात्रा क्यों करते हैं? धार्मिक कारणों से, या किसी सुन्दर जगह देखने के लिए, या फिर किसी से मिलने के लिए? बड़े शहरों, नगरों  में बनी इमारतों का सब लोग महत्व जानते हैं। पर गांव और दूर के इलाकों में बनी इमारतों और खास जगहों की खासियत कभी कभी न तो वहां के रहने वाले लोग और न ही बाहरी लोग ज़्यादा जानते हैं। क्या आप बांदा के कलिंजर किले, या फिर मानिकपुर के जंगलों में धारकुंडी के बारे में जानते हैं? हाजीपुर के खट्टे मीठे केले के खाए हैं? इस बार, जश्न के सीजन के बीच, खबर लहरिया अखबार आपको अपने इलाकों में सफर करने के लिए ले जा रहा है। आइए, हमारे साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ इलाकों के सुन्दर किले, नदी, तालाब, मंदिर-मस्जिद, खास पेड़-पौधे और जानवर के बारे में जानें, और हमारे सुन्दर फोटो देखकर महसूस करें कि आप भी वहां पहुंच गए है।

Aakash Deep-banaras

वाराणसी का आकाष दीप
सदियों से यहां गंगा घाट पर कार्तिक के महीने में, देव दीपावली को मनाते हुए, लोग अपने पूर्वजों की आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचने के लिए दीए जलाते थे। 1995 से यहां उन सैनिकों के लिए दिए जलते हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी थी।

dharkudhi- karvi

चित्रकूट का सुतीक्षण आश्रम
बुन्देलखण्ड के चित्रकूट से 45 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच में है। यहां पर पवर्तो के बीच से एक सुन्दर झरना बहता जो एक कुण्ड में जा कर गिरता है। इसलिए इसका नाम
धारकुण्डी पड़ा है।

monkey station- karvi

वैसे चित्रकूट जिला डकैतो का जिला माना जाता है। लेकिन यहां के बंदर तो डकैतो से ज्यादा तेज़ हैं। रेलवे स्टेषन मे लिखा रहता है कि – कृपया बंदरों से
सावधान रहें।

bilaiya madha- banda

बांदा का बिलरिया मठ
बिलरिया मठ चन्देल राजा मियां सिंह ने बनवाया था। यह मठ बांदा जिला के नरैनी ब्लाक के डढ़वामानपुर ग्राम पंचायत में है। बगल के गांव फतेहगंज से इस मठ में जाने के लिए पांच किलोमीटर जंगल के बीच होकर गुज़रना पड़ता है।

jama maszid  banda

बांदा का जामा मस्जिद
नवाबों के द्वारा बनवाया गया जामा मस्जिद सन् 1275 में हिन्दू कारीगर द्वारा बनाया गया था। हर जुमे के दिन नमाज़ पढ़ने के लिए लोग यहां आते हैं। खासकर ईद और बकरीद की नमाज अदा करने के लिए हजारो की संख्या में नमाजि़यों की भीड़ लगती है।

sitamarhi- mithai

सैदपुर की बालूशाही
सीतामड़ी जिले के सैदपुर की बालूशाही जो एक बार खा लेता है उसका स्वाद कभी नहीं भूलता है। ऐसा हो भी क्यों ना ? आम बालूशाही में जहां सूजी का इस्तेमाल होता है, वहीं इसे खोये से बनाया जाता है। पूरे बिहार में कोई जलसा हो या किसी मेहमान की आओभगत करनी हो, लोग यहीं बालूशाही खाते और खिलाते हैं।